Wednesday, July 21, 2010

आओ कोई बहाना ढूंढे

जश्न मना ले आज की शाम

या फिर लिख दे इन लम्हों में

सूरज चाँद तुम्हारे नाम

कल इसी लम्हा

हम जाने कैसे किस हाल में हो

कौन भुला दे कौन पुकारे

किन शहरों के जल में हो

दिल पे लिख लो इनका नाम

या फिर लिख दो इन लम्हों में

सूरज चाँद तुम्हारे नाम ।

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